तुलसीदास (tulasidas) का पूरा नाम गोस्वामी तुलसीदास है तुलसीदास हिंदी साहित्य के महान कवि और साहित्यकार एवं दार्शनिक थे । तुलसीदास जी अपने जीवन में राम भक्ति में लीन रहकर अनेक ग्रंथो की रचना की जिसमें से एक प्रमुख ग्रंथ “रामचरितमानस” है जिसे प्रसिद्ध महाकाव्य के रूप में भी जाना जाता है। इस महाकाव्य को काव्य में 46 वां स्थान प्राप्त है।तुलसीदास जी इसके अलावा गीतावली, कवितावली, वाल्मीकि ऋषि, संस्कृत रामायण, हनुमान चालीसा, आदि काव्य की रचना की तुलसीदास जी बहुत ही राम भक्ति में लीन रहते थे।कुछ लोगों का कहना है कि गोस्वामी तुलसीदास जी त्रेता युग में रामायण की रचना करने वाले महा ऋषि वाल्मीकि के अवतार हैं परंतु इस संबंध में अनेक विद्वानों की राय अलग-अलग है। दोस्तों आज हमारा आर्टिकल तुलसीदास जी के संपूर्ण जीवन से जुड़ी रचनाएं भक्ति प्रसंग घटनाएं आदि की जानकारी पर आधारित है।अगर आप गोस्वामी तुलसीदास के जीवन के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को ध्यानपूर्वक अंत तक जरूर पढ़ें।

तुलसीदास जी का जीवन परिचय। Biography of Tulsidas in Hindi
तुलसीदास जी का जीवन परिचय। Biography of Tulsidas in Hindi

तुलसीदास जी का जीवन परिचय। Biography of Tulsidas in Hindi

पूरा नाम ( Full Name) गोस्वामी तुलसीदास ( Goswami Tulasidas)
उपनाम ( Nick Name) गोस्वामी अभिनव वाल्मीकि इत्यादि
बचपन का नामरामबोला
जन्मतिथि1511 ई0 ( संवत 1568 वि0)
पिता का नामआत्माराम दुबे
माता का नामहुलसी
पत्नी का नामरत्नावली
पुत्र का नाम तारक (बाल्यावस्था में मृत्यु हो गई थी)
जन्म स्थान सोरों सूकर क्षेत्र कासगंज उत्तर प्रदेश भारत
गुरुनरसिंह दास
धर्मसरयू पारी ब्राह्मण हिंदू
उम्रमृत्यु के समय 112 साल/वर्ष
मृत्यु1623 ई0 ( संवत 1680 वि0)
मृत्यु स्थानवाराणसी उत्तर प्रदेश
दर्शनवैष्णो
प्रसिद्ध साहित्यिक रचनाएंरामचरितमानस, हनुमान चालीसा, दोहावली, कवितावली, विनय पत्रिका, वैराग्य संदीपनी, जानकी मंगल, पार्वती मंगल, इत्यादि
तुलसीदास जी का जीवन परिचय। Biography of Tulsidas

तुलसीदास जी का शुरुआती जीवन (Early life of Tulsidas ji)

इतिहास की जानकारी और प्रमाण के आधार पर बताया जाता है कि गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म सन 1511 ईस्वी में कासगंज उत्तर प्रदेश में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था लेकिन कुछ इतिहासकार मानते हैं तुलसीदास जी का जन्म मध्य प्रदेश राजापुर जिले के चित्रकूट में हुआ था।तुलसीदास जी का समकालीन सम्राट मुगल शासक अकबर को माना जाता है। तुलसीदास जी के पिता का नाम आत्माराम दुबे और उनकी माता का नाम हुलसी था। तुलसीदास जी की माता आध्यात्मिक से जुड़ी हुई एक गृहणी थी।

तुलसीदास जी की शिक्षा (Tulsidas ji’s education)

तुलसीदास जी की प्रारम्भिक शिक्षा गुरुकुल में हुई थी वहां पर उनके गुरु नर सिंह दास जी थे जब तुलसीदास जी 7 वर्ष के थे तो उनके माता-पिता ने उनके प्रारंभिक शिक्षा के लिए गुरु अनन्ता नंदजी के प्रिय शिष्य श्री नरहर्यानंद जी ( नरहरि बाबा) के आश्रम भेज दिया ।नरसिंह बाबा के आश्रम में तुलसीदास (Tulasidas) 14 से 15 साल की उम्र तक सनातन,संस्कृति, धार्मिक ,वेदों तथा उपनिषदों, का ज्ञान प्राप्त किया ।तुलसीदास जी का नाम राम बोल से गोस्वामी तुलसीदास उनके गुरु नरसिंह दास जी ने रखा था। तुलसीदास जी ने अपने शिक्षा समाप्त करके अपने निवास स्थान चित्रकूट वापस आकर लोगों को महाभारत राम कथा आदि सुनाने लगे।

तुलसीदास जी का तपस्वी बनाना (Making Tulsidas ji an ascetic)

तुलसीदास जी का मोह माया को त्याग देने के संबंध में एक प्रसिद्ध प्रसंग है।तुलसीदास जी का विवाह 1526 ईस्वी में बुद्धिमती कन्या से हुआ जिसे लोग रत्नावली के नाम से अधिक जानते थे ।विवाह के बाद तुलसीदास जी अपनी पत्नी के साथ राजापुर नामक स्थान पर रहते थे।तुलसीदास जी का एक पुत्र हुआ जिसका नाम तर्क था अतः किसी कारणवश उसकी अल्प आयु में ही मृत्यु हो गई।पुत्र की मृत्यु के बाद तुलसीदास जी का अपने पत्नी के प्रति अधिक स्नेह हो गया अतः तुलसीदास जी अपने पत्नी से थोड़ा सा भी दूरी होना सहन नहीं कर सकते थे।पुत्र के मृत्यु से दुखी होकर उनकी पत्नी तुलसीदास जी को बिना बताए अपने मायके चली गई अतः तुलसीदास को यह सहन नहीं हुआ और अपनी पत्नी से मिलने चुपके से उनके मायके चले गए।यह देखकर उनकी पत्नी को बहुत ही लज्जा महसूस हुई और उन्होंने तुलसीदास जी से कहा कि स्वामी आपको इस हड्डी मांस के शरीर से जितना स्नेह है अगर इसका स्नेह आप प्रभु भक्ति में लगाते तो आप भगवत प्राप्ति कर लिए होते

“लाज ना आवत आपको दौड़े आवहूं साथ

धिग धिग प्रभु आपको कैसे कहूं मैं नाथ”

इतना सुनते ही गोस्वामी तुलसीदास के हृदय में बहुत बड़ा घात हुआ और इतना सुनते ही उन्होंने घर त्यागने का मन बना लिया । इसके बाद गृहस्थ आश्रम त्याग के सन्यास धारण कर लिया और संन्यासी बनाकर विभिन्न तीर्थ स्थलों पर विचरण करने लगे। 14 सालों तक विभिन्न तीर्थ स्थान पर घूमने के बाद तुलसीदास वाराणसी पहुंचे और वहीं पर अपना आश्रम बनाकर लोगों को धर्म-कर्म आदि की शिक्षा देने लगे।

तुलसीदास जी का जीवन परिचय। Biography of Tulsidas in Hindi
तुलसीदास जी का हनुमान जी से मुलाकात। (Tulsidas ji’s meeting with Hanuman ji)

जैसा कि तुलसीदास जी के रचनाओं में बताया जाता है कि हनुमान जी से तुलसीदास जी की मुलाकात हुई थी।जैसा कि तुलसीदास जी अपनी रचनाओं में बताते हैं कि जब वह वैराग्य धारण करके वाराणसी के घाट पर थे उनकी मुलाकात एक दिन अचानक एक साथ होती हुई थी जो कि भगवा वस्त्र धारण किए हुए राम नाम का जाप करते हुए गंगा स्नान करने के लिए जा रहे थे और इस समय तुलसीदास जी की टक्कर उन महात्मा से हुई और तुलसीदास जी ने उन्हें पहचान और आवाज देने लगे हे प्रभु आपको पहचान लिया और आप हमें इस तरह से छोड़कर नहीं जा सकते आप हमारा मार्गदर्शन करिए इतना सुनते ही साधु महाराज ने कहा कि ही तपस्वी भगवान राम आपका भला करें इतना बोलकर साधु तुलसी जी को आशीर्वाद दिया और वह अपने स्थान की ओर चले गए हनुमान जी ने तुलसी जी आशीर्वाद देते हुए बताया था कि जब आप चित्रकूट जाओगे तो आपको भगवान राम के दर्शन होंगे

तुलसीदास जी की भगवान श्री रामचंद्र से मुलाकात (Tulsidas ji’s meeting with Lord Shri Ramchandra)

तुलसीदास जी के श्री रामचरितमानस मे एक प्रसंग मिलता है कि जब तुलसीदास जी उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के चित्रकूट में रामघाट पर अपनी कुटिया बनाकर रहते थे तब एक दिन श्री तुलसीदास जी कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा कर रहे थे उन्होंने दो राजकुमारों को घोड़े पर सवार होकर आते देखा और उन्होंने उन्हें पहचान न सके और ना दोनों में अंतर समझ सके इस घटना के बाद जब अगली सुबह तुलसीदास जी रामघाट के पर चंदन का लेप बना रहे थे तभी दो राजकुमार तपस्वी का रूप धारण करके तुलसीदास जी के आश्रम में आते हैं और उनसे चंदन का लेप लगाने को कहते हैं तब तुलसीदास की उन राजकुमारों को देख कर पहचान लेते हैं ये भगवान राम और उनके भाई लक्ष्मण हैं। तुलसीदास जी ने राजकुमारों को पहचान लिया और कहां से और कहा कि भगवान मैंने आपको पहचान लिया है आपको मेरा सादर प्रणाम आपका मेरी कुटिया में स्वागत है इसके बाद भगवान राम तुलसीदास जी के कुटिया में गए और उन्होंने तुलसीदास जी से चंदन का लेप लगाने और तिलक लगाने को कहा तब तुलसीदास जी ने भगवान राम और लक्ष्मण के माथे पर तिलक लगाया और पैरों को छुआ और आशीर्वाद प्राप्त किया इस तरह से भगवान श्री रामचंद्र का मिलन तुलसीदास जी से हुआ।

” चित्रकूट के घाट पर भाई संतान की भीड़

तुलसीदास चंदन घिसत तिलक देते रघुवीर”

तुलसीदास जी की मृत्यु (Tulsidas ji’s death)

तुलसीदास जी अपने जीवन के अंतिम क्षणों में वाराणसी में रहते थे तुलसीदास जी के अंतिम क्षणों में वह भगवान राम के भक्ति में लीन रहते थे वाराणसी में 112 साल की उम्र में 1623 ईस्वी में तुलसीदास जी समाधि लेकर अपने शरीर का त्याग कर दिये।
वहीं कुछ लोगों का मानना है कि तुलसीदास जी की मृत्यु 1680 ईस्वी में राम नाम जाप करते हुए हुई थी अपने अंतिम समय में तुलसीदास जी विनय पत्रिका नाम के पुस्तक लिखे थे।

तुलसीदास जी के जीवन परिचय से संबंधित प्रश्न और उत्तर (FAQ)

तुलसीदास जी का जन्म कब हुआ था?

तुलसीदास जी का जन्म 1511 ईस्वी (संवत् 1568 वि 0) कासगंज उत्तर प्रदेश भारत में हुआ था।

तुलसीदास जी के बचपन का क्या नाम था?

तुलसीदास जी के बचपन का नाम राम बोला था।

तुलसीदास जी की पत्नी का क्या नाम था?

तुलसीदास जी के पत्नी का नाम रत्नावली था।

तुलसीदास जी के पुत्र का क्या नाम था?

तुलसीदास जी के पुत्र का नाम तारक था।

तुलसीदास के गुरु कौन थे?

तुलसीदास जी के गुरु का नाम नरसिंह दास था।

तुलसीदास जी का विवाह किस उम्र में हुआ था?

तुलसीदास जी का विवाह 15 साल की उम्र में हुआ था।

तुलसीदास जी की प्रमुख रचनाएं कौन-कौन सी थी?

रामचरितमानस बैरागी संदीपन ए संकट मोचन कवितावली आदि तुलसीदास जी की प्रमुख रचनाएं थी।

तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना कब की थी?

तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना 1631 में चैत मास की रामनवमी से लेकर 1633 में मार्ग शीर्ष के बीच की थी।

तुलसीदास के माता-पिता का क्या नाम था?

तुलसीदास के पिता का नाम आत्माराम दुबे और माता का नाम हुलसी था।

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